देश का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां विराजमान है श्वेत अर्क पौधे की जड़ से बनी गणेश प्रतिमा
आमेर में विराजमान आंकड़े के गणेश मंदिर को चमत्कारी मंदिर माना जाता है. मानसिंह प्रथम ने एक हजार वर्ष पूर्व आंकड़ा गणेश मंदिर की स्थापना करवाई थी. प्राचीन बावड़ी के ऊपर इस मंदिर की स्थापना की गई है. इस मंदिर की मान्यता है कि आठ बुधवार यहां आने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
जयपुर. आमेर के आंकड़े के गणेश मंदिर की एक चमत्कारी मंदिर के रुप में पहचान है. बता दें कि इस मंदिर में सफेद आंकड़े की जड़ से बनी हुई मूर्ति है. जिसके कारण यह राजधानी के प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में सबसे अलग है.आमेर के गणेश मंदिर में विराजमान हैं श्वेत अर्क पौधे की जड़ से गणेश प्रतिमाबता दें कि हर वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन होता है. गणेश चतुर्थी के एक दिन पूर्व तीज के दिन यहां पर रात्रि जागरण भी किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की रंग बिरंगे फूलों से झांकी सजाई जाती है और भगवान गणेश को मोदकों का भोग लगाकर पूजा अर्चना की जाती है.मंदिर के पुजारी प्रदीप कुमार चटर्जी ने बताया कि आंकड़ा गणेश मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इस मंदिर को बावड़ी पर स्थापित किया गया है. श्वेत अर्क यानी सफेद आंकड़े के पौधे की जड़ से बनी प्रतिमा इस मंदिर में विराजमान है. सफेद आंकड़े का पौधा जब 100 वर्ष का हो जाता है तो उसकी जड़ से अपने आप भगवान गणेश की प्रतिमा उत्पन्न हो जाती है.
जयपुर. आमेर के आंकड़े के गणेश मंदिर की एक चमत्कारी मंदिर के रुप में पहचान है. बता दें कि इस मंदिर में सफेद आंकड़े की जड़ से बनी हुई मूर्ति है. जिसके कारण यह राजधानी के प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में सबसे अलग है.आमेर के गणेश मंदिर में विराजमान हैं श्वेत अर्क पौधे की जड़ से गणेश प्रतिमाबता दें कि हर वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन होता है. गणेश चतुर्थी के एक दिन पूर्व तीज के दिन यहां पर रात्रि जागरण भी किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की रंग बिरंगे फूलों से झांकी सजाई जाती है और भगवान गणेश को मोदकों का भोग लगाकर पूजा अर्चना की जाती है.मंदिर के पुजारी प्रदीप कुमार चटर्जी ने बताया कि आंकड़ा गणेश मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इस मंदिर को बावड़ी पर स्थापित किया गया है. श्वेत अर्क यानी सफेद आंकड़े के पौधे की जड़ से बनी प्रतिमा इस मंदिर में विराजमान है. सफेद आंकड़े का पौधा जब 100 वर्ष का हो जाता है तो उसकी जड़ से अपने आप भगवान गणेश की प्रतिमा उत्पन्न हो जाती है.
सफेद लकड़ी से बने होने के कारण इसे श्वेत अर्क गणपति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में भगवान गणेश की दो प्रतिमाएं विराजमान हैं. ऊपर वाली प्रतिमा श्वेत अर्क गणपति की प्रतिमा है और नीचे मार्बल की प्रतिमा विराजमान है
एक दो महीने में गुरु पुष्प नक्षत्र और रवि पुष्प नक्षत्र आता है. जिसमें श्रद्धालु अपनी मान्यता अनुसार भगवान गणेश के समक्ष अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करते हैं. भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने पर वह भगवान गणेश को सिंदूर से बना हुआ चोला चढ़ाते करते हैं और भगवान गणेश को विशेष पोशाक भी धारण करवाई जाती है.
भक्तों ने बताया कि आंकड़े का गणेश मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है. यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. बता दें कि गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा. इसके अलावा हर बुधवार को भी काफी संख्या में भक्त गणेश जी के धोक लगाने के लिए यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर की गणेश प्रतिमा सफेद आंकड़े के पौधे की जड़ से उत्पन्न हुई मानी जाती है. जिस कारण इस मंदिर का नाम आंकड़े का गणेश मंदिर पड़ा है.
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